Shodashi - An Overview

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एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

In accordance with the description in her dhyana mantra, Tripurasundari’s complexion shines with the light on the climbing Sunlight. This rosy colour signifies joy, compassion, and illumination. She is proven with four arms wherein she holds 5 arrows of flowers, a noose, a goad and sugarcane being a bow. The noose represents attachment, the goad signifies repulsion, the sugarcane bow signifies the thoughts plus the arrows are definitely the five sense objects. While in the Sakta Tantra, it's Mother who is supreme, as well as gods are her devices of expression. Via them, she presides around the development, maintenance, and dissolution on the universe, together with above the self-concealment and self-revelation that lie driving All those 3 pursuits. Self-concealment could be the precondition along with the result of cosmic manifestation, and self-revelation causes the manifest universe to dissolve, disclosing the essential unity. Tripurasundari signifies the condition of consciousness which is also

The Sri Chakra is often a diagram formed from nine triangles that surround and emit out of the central position.

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं  सौः

यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।

She is depicted that has a golden hue, embodying the radiance in the mounting Sunshine, and is usually portrayed with a third eye, indicating her wisdom and insight.

भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे get more info सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।

Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra sharpens the head, boosts concentration, and improves mental clarity. This profit is valuable for college students, experts, and those pursuing intellectual or Innovative aims, because it fosters a disciplined and centered method of tasks.

The Sadhana of Tripura Sundari is usually a harmonious blend of seeking enjoyment and striving for liberation, reflecting the twin components of her divine character.

बिभ्राणा वृन्दमम्बा विशदयतु मतिं मामकीनां महेशी ॥१२॥

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